भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हंसी / अमिता दुबे

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हंसी कई तरह की होती है
फीकी हंसी मीठी हंसी
पैनी हंसी, तीखी हंसी

कोई दाँत निकालकर हंसा
कोई दाँत दबाकार हंसा
कोई खींसे निपोरकर हंसा
कोई भौवें सिकुड़कर हंसा
मतलब केवल हंसने से है

सबसे खतरनाक होती है
व्यंग्य की हंसी
क्योंकि
वह सामने वाले को
धराशायी करती है
होठों ही होठों में वार करती है