भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हकासल आतमा / मुनेश्वर ‘शमन’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हुनका पास की कुछ नञ हे।
आलीसान बंगला।
ढ़ेरमनी जमीन-जायदाद।
बैंक जमा / सोना-चाँदी
अकूत धन-दौलत।
सुख के सभे सरंजाम-साधन।
तभियो ऊ / रात-दिन
डूबल रहऽ हथ
हाय-हाय / आपाधापी
लूट-खसोट में।
आउर-आउर खातिर
कउन-कउन उपाय
नञ करऽ हथ।
सायत
हुनकर आतमा हकासल हे।
संतोष बिन पियासल हे।