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हज़ारों ज़र्रे / नाज़िम हिक़मत / अनिल जनविजय

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झागदार घना बादल है मेरे सिर पर,
मेरे बाहर और मेरे भीतर है समुद्र,
मैं गुलहेन पार्क में खड़ा अखरोट का एक पेड़ हूँ
पूरी तरह से असंख्य पत्तियों और शाखाओं से बुना हुआ ।
लेकिन न तुम और न ही पुलिसवाले इस बात पर कोई ध्यान देते हैं ।

मेरे पत्ते मेरे हाथ हैं,
मेरे पत्ते मेरी आँखें हैं,
हज़ारों हाथों से मैं तुम्हें और अपने प्यारे इस्ताम्बूल को छूता हूँ ।
हज़ारों आँखों से मैं तुम्हें और अपने प्यारे इस्ताम्बूल को देखता हूँ ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता रूसी अनुवाद में पढ़िए
                     Назим Хикмет
                    Тысячи частиц

На голове пенистые облака,
Внутри и вокруг меня море,
Как старое развесистое ореховое дерево в парке Гюльхане
Я весь соткан из многочисленных листьев и веток.
Но этого ни ты, ни полицейский не замечаете.
Мои листья – это руки,
Мои листья – это глаза,
Тысячью руками я касаюсь тебя и любимого Стамбула.
Тысячью глазами я смотрю на тебя и любимый Стамбул.

लीजिए, अब यही कविता मूल तुर्की भाषा में पढ़िए
                          Nazım Hikmet Ran
           Başım köpük köpük bulut, içim dışım deniz

Başım köpük köpük bulut, içim dışım deniz,
Ben bir ceviz ağacıyım Gülhane Parkı’nda,
Budak budak, şerham şerham ihtiyar bir ceviz.
Ne sen bunun farkındasın, ne polis farkında.
Yapraklarım ellerindir,
yapraklarım gözlerindir,
binlerce elle dokunurum sana ve canım İstanbul’a,
binlerce gözle seyrederim seni ve canım İstanbul’u.