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हत्या / रेखा चमोली
Kavita Kosh से
इन दिनों मुझे चारों ओर सिर्फ खून दिखता है
घास के नन्हें पौधों को देखने को झुकती हूँ
तो उन पर
मजबूत बूटों से कुचले जाने के निशान देखकर
डर से सिहर जाती हूँ
किसी नन्हें फूल की तरफ खुश होकर हाथ बढाती हूँ
तो उसे मसला हुआ देख
सहम जाती हॅू
अगर हत्या सिर्फ शरीर की हो रही होती
तो मरना कितना आसान होता
मेरे दुश्मनों
मुझे मारने से पहले तुम
मारना चाहते हो
मेरे स्वपनों को
मेरी इच्छाओं को
मेरी खुशियों को
मेरी उमंगांे को
मेरे विचारों को
तुम सिर्फ मुझे नहीं मारना चाहते
अपने समय के सच को भी मारना चाहते हो
और मैं इसे दर्ज करना चाहती हूँ।