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हथेली पर फूल / प्रेमशंकर शुक्ल
Kavita Kosh से
झील की हथेली पर
वह जो फूल खिला है
लगाना है उसे
एक सुनहरी चिड़िया के
जूड़े में
मुझे
वक़्त की झील में
वक़्त की झील में
हम पानी की
दो बूँद (हैं)
दो बूँदों की तरह
अलग-अलग
मिल कर
आवेग
लहर-दर-लहर !