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हम घूम आए शहर / अज्ञेय
Kavita Kosh से
गाड़ी ठहराने के लिए
जगह खोजते-खोजते
हम घूम आये शहर :
बीमे की क़िस्तें चुकाते
बीत गयी ज़िन्दगी।
अतीत से कट गये
चढ़ा कर फूल चन्दन।
अब जिस में जीते हैं
उस से मिले तो क्या मिले?
खीसें निपोरता किताबी अभिनन्दन?