भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हम बात करेंगे साथी / शक्ति बारैठ

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हम बात करेंगे साथी
कल जरूर बात करेंगे
लेकिन आज मुझे वक़्त नहीं
की तुम्हें जब वक़्त मिले, तब तक
में इंतज़ार करता रहूँ ।
चीलम देखी ही होगी
तम्बाकू भरा होता है जिसमें
एक मटमैली साफी लिपटी होती है जिसके
दो खुरदरे हाथ चिपके होते हैं जिसपे
ख़ासियत होती है उसकी
की रखा एक कोयला औऱ सारे सुर
एक धुन में बज उठते है,
साफी का चटचट करके सुखना,
तम्बाकू का जलना
हाथों की रगड़, हथेलियों में धुंवे की पकड़
और अंत में अचानक उठा
बेशुमार ख़ालीपन ..
बस वो ख़ालीपन मिल जाये मुझे
तब बात करेंगे साथी
आज मुझे इतना वक्त नहीं की
तुम्हें कब वक्त मिले, इसके इंतज़ार मेँ
इंतज़ार करता रहूँ।