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हम युवा स्वाधीन देश के / जितेंद्र मोहन पंत
Kavita Kosh से
हर पथ के शूलों को चुनकर
गांधी के आदर्श बनेंगे।
मातृभूमि के रक्षक बनकर
दुश्मन के हत्यारे होंगे।।
हम युवा स्वाधीन देश के
राष्ट्र स्वतंत्रता के हैं प्रहरी।
शांति अहिंसा के साधक
बाधा आगे कभी न ठहरी।।
तूफानों की राह बदलते
हाथों से चट्टान गिराते।
राह में कंटक जो आये
उन्हें समूल हैं हम उखाड़ते।।
कथनी करनी एक हमारी
इससे राष्ट्र को सफल करेंगे।
तन मन जीवन है स्वदेश हित
हम भारत की ढाल बनेंगे।।
हम सुमन जो कमलकरों से
चमन को अपने सजा रहे हैं।
नये विश्व के नये प्रणेता
नयी सी दुनिया बसा रहे हैं।।
उलझनों से हैं बच निकलते
मुसीबतों से नहीं हैं डरते।
'न झुकें हम कभी' इस आत्मबल पर
देश के लिये मरते मिटते।।