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हम वे नहीं थे / संजय शाण्डिल्य
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हमारी नज़रें
अचानक ही
एक दूसरे से मिलीं
हमें लगा
हम वही हैं
जिस कारण
हमारी नज़रें मिली हैं
हमने
दूर ही से
सिर हिलाया
यह देखने के लिए
कि हम वही हैं
हम ज़रा आगे बढ़े
बढ़े ही थे
कि लगा
हाय, हम वे नहीं हैं
हम तो और ही हैं
ऐसा लगना था
कि तुरत एक नदी
हमारे बीच बहने लगी
अचानक ही
हमारे चेहरे
पत्थरों में तब्दील हो गए ।