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हम सब व्यापारी हैं / इधर कई दिनों से / अनिल पाण्डेय

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सुनो !
कुछ नहीं है संसार
कुछ नहीं है देश दुनिया
जीवन भी कुछ नहीं है
महज एक दुनियादारी है
व्यापार है सच
व्यापार है झूठ
व्यापार है पाप
व्यापार है पुण्य
व्यापार है सब कुछ
अंततः हम सब व्यापारी हैं