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हमारी तरह / संजय चतुर्वेदी
Kavita Kosh से
जो बच्चों की चीज़ें हैं
उन्हें हम देखते हैं
जो हमारी चीज़ें हैं
वो हम उन्हें नहीं देखने देते
एक दिन बच्चे हमसे पूछते हैं
हम उस पर ध्यान नहीं देते
एक दिन बच्चे बड़े हो जाते हैं
हमारी तरह।