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हमेशा / पाब्लो नेरूदा
Kavita Kosh से
मैंने जो देखा
उससे कोई ईर्ष्या नहीं मुझे ।
अपने कन्धों पर किसी
मर्द को लिए आओ,
या सैकड़ों मर्दों को अपनी ज़ुल्फों में उलझाकर लाओ,
ले आओ हज़ारों मर्दों को अपने सीने और तलवों के बीच
डूबे हुए मर्दों की लाशों से भरी
एक नदी की तरह आओ
जो घुल जाती है उन्मत्त समुद्र में
शाश्वत लहर में, समय में !
ले आओ उन सब को
वहीँ, जहाँ मैं तुम्हारी राह देख रहा हूँ;
हम फिर भी एकाकी रहेंगे सदा,
रहेंगे सिर्फ़ तुम और मैं
अकेले इस धरती पर
अपने जीवन की शुरुआत के लिए !
भावना मिश्र द्वारा अँग्रेज़ी से अनूदित