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हर मुलाकात के बाद / अरुणा राय
Kavita Kosh से
जो चीज हममें
कामन थी
वो था हमारा भोलापन
और बढता गया वह
हर मुलाकात के बाद
पर दुनिया हमेशा की तरह
केवल सख्तजां लोगों के लिए
सहज थी
सो हमारा सांस लेना भी
कठिन होता गया
और अब हम हैं
मिलते हैं तो गले लग रोते हैं
अपना आपा खोते हैं
फिर मुस्कुराते हंसते
और विदा होते हैं