भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हवस / डी. एम. मिश्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देने की आड़ में
चूसने की प्रवृत्ति
कोई रेशम के
कीड़े में देखे

काँटों से बचकर
निकल आये पाँव
महान हो गये
पर जूतों के नीचे
कितनी हरी घास
कुचल गयी और
कितने मोथों के नवांकुर
पिस गये

हवस बड़ी होती है
पहाड़ से ऊपर
उठने की
भले ही वह
आदमी के बूते से
चार हाथ आगे हो
जहाँ से उसे
अपनी ज़मीन न दिखे
और ज़मीन पर
खड़े आदमी को वह