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हवा गुनगुनाए तुम्हारी तरह / रविकांत अनमोल
Kavita Kosh से
हवा गुनगुनाए तुम्हारी तरह
कली मुस्कुराए तुम्हारी तरह
हसीं वादियों में ये ठण्डी हवा
तमन्ना जगाए तुम्हारी तरह
किसी और को मैंने सोचा कहाँ
तुम्हीं याद आए तुम्हारी तरह
कभी ज़िन्दगी मुझसे हँस कर मिले
कभी रूठ जाए तुम्हारी तरह
तुम्हारे वो वादे, क़सम से मुझे
बहुत याद आए तुम्हारी तरह
कभी मुझसे दामन छुड़ाए ख़ुशी
कभी पास आए तुम्हारी तरह
नहीं कोई दुनिया में ऐसा मिला
जो दिल में समाए तुम्हारी तरह