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हवा नमनाक होती जा रही है / रईसुदीन रईस

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हवा नमनाक होती जा रही है
हवेली ख़ाक होती जा रही है

दरीचा खोलते ही थम गई है
हवा चालाक होती जा रही है

हमारे हौसलों के आगे मुश्किल
ख़स ओ ख़ाशाक होती जा रही है

लहू के हाथ धोए जा रहे हैं
नदी नापाक होती जा रही है

नई तहज़ीब से ये नस्ल-ए-नौ अब
बहुत बेबाक होती जा रही है

समुंदर थाम ले मौजों को अपनी
ज़मीं तैराक होती जा रही है

मोहब्बत नफ़रतों के बीच पल कर
बड़ी सफ़्फ़ाक होती जा रही है

ब-फ़ैज़-ए-शाइरी शहर-ए-हुनर में
हमारी धाक होती जा रही है