भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हवा पर है / नंदकिशोर आचार्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कभी वह फड़फड़ाता है
झूमता है कभी—
फड़फड़ाना झूमना उस का
पर उस पर नहीं
—हवा पर है
झूमती है कभी
कभी जो फड़फड़ाती है

हवा नहीं
पत्ता है लेकिन वह
—झर ही जाना है जिस को—
अपने झरने में भी लेकिन
हवा की मौज पर
लहराता, इतराता ।

17 अप्रैल, 2009