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हवा मॅे हवाई / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
Kavita Kosh से
हवा मॅे हवाई हो कबतक उड़ैभो
लगै छै बचलका खजाना बुड़ैभो।
अजादी के सुखबा तेॅ तोहीं हसोतल्हें
कहीया गुलामी सेॅ हमरा छोड़ैभो।
बड़ोॅ घर मॅे दूधोॅ सेॅ कुल्ला करै छै
बुतरूआ ई फुल्ला कॅे कहिया जुड़ैभो।
तोरा घर मेॅ सुख आरो सुख के सुखौतोॅ
जरूरत छै अखनी तेॅ कहिया पुरैभो।
सबासिन छै रूसलोॅ जे असरा हियाबै
बताबों न साहब कि कहिया घुरैभो।