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हाइकु 100 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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पात्र हूं बस
जळ, अमी, जहर
चावै सो भर


आवै जद ई
थारी याद, म्हारी मा
हिमाळो गळै


काळी लछमी
करै गोरी लछमी
संत मायावी