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हाइकु 143 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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रोवै तो मन
आंसू बै‘वै दो आंख्यां
ओ हुवै प्रेम
मिनख आज
ताण रैयो मन में
भींतां ई भींतां
देवियां पूजां
कन्या-भू्रण मरावां
धर्मात्मा हां नीं?