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हाइकु 145 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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लाडेसर रे!
अेकर आजा देस
खांधो देवण
थारी याद में
बेटा, झरै हांचळ
कुळै काळजो
घर बीती ई
नीं कैय सकै आज
चकवो मन