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हाइकु 154 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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अरे कणै तो
चै‘रे परला चै‘रा
उतार मन!
शकुंतलावां
भूलती जा रैयी है
दुष्यतां नैं ई
चैफेर बधै
तक्षक नाग आज
जन्मेजै जाग