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हाइकु 183 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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आज जीवण
थूं थारै‘र हूं म्हारै
सै आप धारै


वोट तो पांख
मिल्यां उडै अकास
टूट्यां पताळ


जंगळ-राज
बै सैंग है गिरझ
आपां हां उल्लू