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हाइकु 19 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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ओ दरपण
देखावै सै नैं चै‘रा
समभावी है
मरता जावै
मीठा मधरा गीत
डी.जे. धुनां
पीवै बिरखा
अे ऊंचा-लूंठा वट
तिरसी घास ?