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हाइकु 3 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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समंदर है
डबडबाई आंख
धरती मा री


जूनां रै जोसी!
कैनैं मिल्या है पिव,
मरिया बिनां,


मरियोड़ा तो
हुय जावै आजाद
जीवै गुलाम