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हाइकु 49 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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ओ प्रसासन
जनता खातर है
पर सासन
सूखी माटी रै
मन छळकै इमीं
बेटां खातर
आज परेम
काचै सूत रो तार
झटकै टूटै