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हाइकु 5 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
सोने रै पाटै
जिकौ ई जनमें, बो
हिरणाकस
कुळै काळजो
गावै मूमल कोई
मांझळ रात
केसरिया जी!
कूंकूं बरणी हुई
थानैं निरख