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हाइकु 65 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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बाळू रा धोरा
बिना मूंढै गूमड़ा
कुळै‘स कुळै
चैफेर धुंध
मौसम करै आंधा
भला-भला नैं
तीखी गरमी
लाल तवै सी धरा
पड़ैं छांटां हूं...ऽऽऽ