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हाइकु 77 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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नान्हो बाळक
मीठो-मीठो मुळकै
सुरग रचै


सोने रो रंग
चुंधिया दै छिण में
मनां री आंख्यां


रिस्ता तो बस
बुणियोड़ो स्वेटर
पैरां-उतारां