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हाइकु 79 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
उडग्यो पंछी
ऊंचा अकासां मांय
तरसै आंख्यां
नाग पाळ सो
गळै-छाती लगासो
बैई काटै ला
प्रेम री गंध
मै‘का दै पूरी जूण
जे मिल जाय