भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाथ-5 / ओम पुरोहित ‘कागद’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लोगों ने
हाथ से हाथ मिलाए
दूर तक चलने की
शपथ ली
निकल भी पड़े
साथ-साथ
यात्रा में
किसी
मनचाही मंजिल की ओर
लेकिन
मन दौड़ रहे थे
विपरीत दिशाओं में
यात्रा के अंत में
लोग ढूंढ रहे थे
एक दूसरे का हाथ
खाली हाथ लौटने में ।