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हाथ कुदाली रे / ब्रजमोहन

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हाथ कुदाली रे
ओ भैया, हाथ कुदाली रे
तेरे दम से ही धरती पर है हरियाली रे...

बोता है खेतों में जीवन
तू ही तो हर साल
किन्तु महाजन हर मौसम में
करता तुझे हलाल
दाब महाजन की गरदन अब चरबीवाली रे...
हाथ कुदाली रे...

गर्मी-सर्दी-आँधी-बारिश
चाहे हो तूफ़ान
ज़मींदार के कोड़े तुझको
करते लहू-लुहान
ज़मींदार की आँखों से अब खींच ले लाली रे...
हाथ कुदाली रे...