भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाथी जे साजिले, घोड़ा जे साजिले / भोजपुरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हाथी जे साजिले, घोड़ा जे साजिले, साजिले सजन बारात हे।
रामजी के घोड़वा भलीए भली साजे, मोतियन गुहल लगाम हे।।१।।
हाँ रे, जब बरिअतिया गोयँड़ चलि अइले, भँटवा रहेले बढ़माई हे।
हाँ रे, तोके देबों भँटवा रे चढ़ने के घोड़वा, मोरा आगे सीता बखानु रे।।२।।
हाँ रे, का हम रामचन्द्र सीता बखानी, सीता चनरमा के जोत हे।।३।।
हाँ रे, जब बरिअतिया जनकपुरवा अइलें, हाँ रे, चेरिया कलस लिहले ठाढ़ि हे।
तोके देबों चेरिया दूनू कान के टेरिया, मोरा आगे राम बखानु रे।।४।।
हाँ रे, का हम सीता जे राम बखानी, ऊ त सुरुजवा के जोत हे।
उगल सुरुजवा छपित होई जइहें, राम सुरुजवा के जोत हे।।५।।