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हाथी दादा / फुलवारी / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
हैं तो काले हाथी दादा।
पर मतवाले हाथी दादा॥
लंबी सूंड दांत चमकीले ,
चार पैर हैं बड़े गठीले।
यों तो हैं ये काल कलूटे -
लेकिन मन के बड़े रंगीले॥
पीठ चढ़ा कर टहला देते
हम बच्चों के साथी दादा॥
हाथी दादा हाथी दादा॥