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हारे हुए आदमी का रंग / अशोक कुमार
Kavita Kosh से
जो जीतते
उनके अलग झंडे थे
अलग अलग रंग थे
अलग ढंग थे
वे अपनी विजय पर पताकाएँ लहराते
वे अपनी पताकाओं से पहचाने जाते
उन्हें जो जिताता
वह हर बार हार जाता था
उस हारे आदमी का रंग
एक था
ढंग एक था।