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हाल अपना किसी से मत कहिए / देवमणि पांडेय
Kavita Kosh से
हाल अपना किसी से मत कहिए
इससे अच्छा है आप चुप रहिए
देख कर लोग फेर लें नज़रें
सबकी नज़रों में ऐसे मत गिरिए
जो भी दिल आपका इजाज़त दे
काम हर वक्त बस वही करिए
सुख की कीमत तभी तो समझेंगे
ये ज़रूरी है कुछ तो दुख सहिए
आज सच को सराहेगी दुनिया
ऐसे धोखे में आप मत रहिए
मिल ही जाएगी एक दिन मंज़िल
शर्त इतनी है राह खुद चुनिए
ज़िन्दग़ी का यही तक़ाज़ा है
वक़्त मुश्किल हो, फिर भी चुप रहिए