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हिमालय / आस्तीक वाजपेयी
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हिमालय की बहती मिट्टी,
पर सवार गंगा प्रयाग जा रही है
आसमान में उड़ती चील के टूटे पंख से
मिलने ।
एक पत्ती पर
पंख अटक गया है ।
जो ओस उसे रोके है
वह गिर पड़ेगी उसे लिए ।
शंकर की चोटी ढीली हो गई ।