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हुक्का लड़लै चिलमों सें / छोटे लाल मंडल
Kavita Kosh से
हुक्का लड़लै चिलमों सैं,
चिलम उलझै छै चुट्टा सें,
चुट्टा वेचारा की अव करतै,
हुड़ कूच्चो मारै छै वुद्धा नें।
जव हुक्का धुवां नै फेकै छै
धिपलो गोज घुसावै छै,
अतरी भोथरी खैचा तानी में
दरदों सें लाचारी चिकरै छै।
लड़ी झगरी के की वें करतै
वुढ़िया चतुर चालाक छै,
जान जाय छै हर हालत में
वुढुवा भी वड़ी चिलमचट्टो छै।
एक बरगी में श्राप दियै छै-
जो रे मुझरका तहूं जरबै
तोरो करेजो फाटी के रहतौ,
खांसी दम्मा कैंसर होयतौ,
दुनियां सें नाता छुटवै करतौ।
गुड़गुड़ा हूक्का चिलम चढ़ावै
वुढ़वा वुढ़िया भी दम्में छै,
गटगट धूइंयां पेट भरै छै
दुनियां से नाता छुटै छै।