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हूंस / निशान्त
Kavita Kosh से
कई बारी
कित्तो आछो
अर सू’णो
मिलै पढण नै
कै जी करै
बांचता रैवां
बांचता रैवां
पण इत्तो टेम
कीं कन्नै है
भणण-गुणण सारू ।