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हे प्रभु मेरा साथ निभाना / धीरज कंधई
Kavita Kosh से
जीवन की सन्ध्या आए तो
अन्धकार पथ में छाए तो
हे प्रभु मेरा साथ निभाना
दूर चलें जब संगी साथी
रूठ चलें जब खुशियाँ बाकी
निर्बल को बल देने वाले
हे प्रभु मेरा साथ निभाना
लघु जीवन क्षण के उतार में
साँसों के धूमिल खुमार मंे
जब जग के सुख बुझ जाते हैं
परिवर्तन की लहरें आती हैं
पर में केवल धूल उड़ाती
केवल तुम न बदलने वाले
हे प्रभु मेरा साथ निभाना
जीवन की सन्ध्या आए तो
अन्धकार पथ में छाए तो
हे प्रभु मेरा साथ निभाना