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हे मेरे नौकर गए भरतार / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हे मेरे नौकर गये भरतार मिरा जी लागता कोन्या
ऊं नै खत गैर्या ना तार रपिये भेजता कोन्या
डाई का गैर्या तार तार नै हे बांचता कोन्या
हे वो आया महल के बीच महल में च्यान्दणां कोन्या
ऊं नै देख्या पल्ला ऊघाड़ के आंखियां खोलती कोन्या
पौंचे तै पकड्या हाथ के नाड़ी चालती कोन्या
बुलवा द्यूं बैद भतेरे आड़ै को बैद बी कोन्या
हे वो रोया बड़ के लाग मेरे मां-बाप बी कोन्या
फिर आया रै च्यारूं कूंट तेरे रे केस्सी की हूर बी कोन्या