भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हे मैया सरोसती / अनिरुद्ध प्रसाद विमल
Kavita Kosh से
हे मैया सरोसती,
हमरा देॅ सुन्दर मति।
मैया हमरोॅ बुद्धि में प्रकाश भरोॅ
सद्ज्ञान भरोॅ मन उज्ज्वल करोॅ,
जर्जर हृदय में रस संचार करो
मैया हम्में भूढ़मति,
हमरा दे सुन्दर मति।
कुमति से भरलोॅ सौसे संसार छै
कुरास्ता ही दौड़ेॅ सब विचार छै,
चलै के नै कोनोॅ सही आधार छै
मैया बनोॅ सारथी,
हे मैया सरोसती।
काँटों-काँटों से भरलोॅ छै जीवन
काटोॅ जड़ता से भरलोॅ ई बंधन,
दुखोॅ सें उबडूब तन आरो मन
जगतारणी भगवती,
हे मैया सरोसती।
ऐन्होॅ संगीत भरोॅ वीणा में
नव ज्ञान भरोॅ हमरा सीना में,
मोती रं चमकौं-जेनां नगीना में
मैया करौं आरती,
हे मैया सरोसती।