भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हेली रातूं जागै थूक बिलोवां / सांवर दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हेली रातूं जागै थूक बिलोवां
घर सूं कांई लागै थूक बिलोवां

देखो अबै सांस आवैला सोरी
नाक कटाई नागै थूक बिलोवां

काम रै नांव रैयो औ ई काम
आवो बैठां सागै थूक बिलोवां

ताका-झाका करती पाड़ौसी री
छोरी घर सूं भागै थूक बिलोवां

शहर सूं बावड़ बतावै बाबूड़ो
बै सीटी सुण भागै थूक बिलोवां