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हो गए बेवफ़ा यहाँ तक तुम / शेरजंग गर्ग
Kavita Kosh से
हो गए बेवफ़ा यहाँ तक तुम।
सी चुके होंठ भी जुबाँ तक तुम।।
ऐसी क्या बात है जो मुश्किल से
कह नहीं पा रहे हो ना तक तुम।
मेरी नज़रों ने तुमको देखा है
मुझको आये नज़र जहाँ तक तुम
लो, समझ लो ये प्यार जिद्दी है
दिल को ठुकराओगे कहाँ तक तुम
मेरी बदनामियाँ भी पाओगे
अपनी शोहरत की दास्ताँ तक तुम।