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होंठ / सुधीर सक्सेना

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ये मेरे
होंठ हैं

इन होठों की स्मृति में
जीवित हैं
ढेर सारे उत्तप्त चुम्बन

चाहते हैं होंठ
कि होंठों की ज़िन्दगी में लौटे
होंठों का अतीत ।