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होत अबेर जनकपुर जाना / अंगिका लोकगीत
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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होत न रे होत अबेर जनकपुर जाना होत न रे
कौन पुरी से चले बराती कौन पुरी को जाना
हे हो कौन पुरी को जाना
कौन बाग में डेरा पड़लै किनका उड़ै निसाना रे जाना
होत न रे होत अबेर जनकपुर जाना होत न रे
अवधपुरी से चले बराती जनकपुरा को जाना
लाल बाग में डेरा पड़लै दसरथ उड़ै निसाना रे जाना
होत न रे होत अबेर जनकपुर जाना होत न रे
आलक साजौ पालक साजौ और सजौ समियाना
लाल बरन के घोड़ा साजौ रथ हाँकै रथवाना रे जाना
होत न रे होत अबेर जनकपुर जाना होत न रे