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होत पराते सखि आँगन बहरिहे / भोजपुरी
Kavita Kosh से
होत पराते सखि आँगन बहरिहे, घूरवा लगइहे बड़ी दूर हे।
पानी भरी थलथरी में धरिहे, जनि घरइहे फूहरी नाँव हे।।१।।
होत पराते सखि पनिया जे भरिहे, घूँघट त लीहे काढ़ि हे।
परेया पुरुख देखि पाँजर जानि दबिहे, कि जनि धरइहे बेसवा नाँव रे।।२।।
एतने बचनिया ए सखि।
गाई के गोबर पियरा माटी, अँगना दहादही होइहें।
बूझि-समुझि के नून लगइहे, कि नाहीं तीत, नाहीं मधुर हे।।३।।
एतने बचनिया ए सखि।