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होम्यो कविता: कोनियम / मनोज झा
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किसी से मिलना नहीं चाहता और अकेले लगता है डर।
करवट बदले सिर हिलाए आ जाए उसको चक्कर॥
नारी देख वीर्य गिर जाए, प्रेम रोग हो जाए अगर।
संगम की हो अदम्य इच्छा साथ में हो ध्वजभंग मगर॥
नीचे से बढता है लकवा सुन्न करे चलकर ऊपर।
पेशाब मेंतकलीफ अगर हो याद करो कोनियम डाक्टर॥
ऋतुस्राव के दस दिन बाद हो जाए यदि श्वेत प्रदर।
देर से होता ऋतुस्राव और हो दाँयीं स्तन पत्थर॥
सूई चुभन कड़े सूजन में वजह चोट की रहे अगर।
जरायु का हो दोष यदि तो याद करो कोनियम डाक्टर॥
कुमारी का हो रक्त प्रदर या जरायु / स्तन का कैंसर।
कामेच्छा के दमन से रोग हो याद करो कोनियम डाक्टर॥