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होलई गईं जरि मरि / जगदीश पीयूष

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होलई गईं जरि मरि।
लाई लूसी गै बिसरि॥

जड़ऊ भागें छोड़ छाड़ि के रजाई मोरे राम।
देखा देखा गर्मी माई कै अवाई मोरे राम॥

कतव रंग और अबीर।
बोलैं अरऽरा कबीर॥

छनै बाबा औ पतोहू कै मिठाई मोरे राम।
देखा देखा गर्मी माई कै अवाई मोरे राम॥

चढ़ै माई जी का तूल।
मलिया गावे लइके फूल॥

होय मौनी के अखाड़ा म ओझाई मोरे राम।
देखा देखा गर्मी माई कै अवाई मोरे राम॥

गवने जाय लागीं वे।
बोली पांव लागीं वे॥

लेबै लवटि के तोहसे मलाई मोरे राम।
देखा देखा गर्मी माई कै अवाई मोरे राम॥