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हौ गामे गामे मलीनियाँ घुरै छै / मैथिली लोकगीत

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हौ गामे गामे मलीनियाँ घुरै छै
नटबा रूप दादा धेलकै
भागल नटिनियाँ सिमरिया गेलै
घाट सिमरिया पार उतरलकै
जतरा केलकै मोकमागढ़ के
जुमल मलीनियाँ मोकमागढ़मे
मने मन विचार नटिनियाँ करै छै
सुनऽ सुनऽ हे स्वामी नरूपिया
हय केना जेबै मोकमागढ़मे
बारह बीघा फूलवाड़ी चुहर लगौने
ओही फूलबरिया डेरा गिरौलकै
फुलबागमे डेरा गिरौलकै
सिरका सिरकी नटबा ठोकै छै
मनचित भैंसा दादा खूंटै छह
अपने नटिनियाँ बिरहा की गबै छै यै।।
मने मन नटिनियाँ सोचै छै
चुहरा बगिया डेरा देलीयै
फूल चुनैले चुहरा अऔतै
सुरति देखा के चुहरा लोभेबै
जखने चुहरा लोभमे पड़तै
मारबै जादू भेंडी बनेबै
चोर मोट जादू से पकड़बै
मनचित भैंसा पर लधेबै
सबे समान हाजिर करबेबै
तब चोर मोट लऽकऽ हम चलि जेबै यौ।।
डेरा मलिनियाँ बागमे देलकै
भोर भेलै भिनसरबा भेलै
सवा पहर दिन जब उठि एलै
तबे जवाब चुहरा दै छै
सुनि ले छौड़ा सुनि ले
चल चल बौआ पोखरिमे
सोना पोखरिया स्नान बौआ करबै
फूल बगिया फूल लोढ़वै
राज मोकमा के पूजा करबै
गाङो आ गहिल पूजा हम करबै रौऽ।।